पूरी तरह से कृषि पर निर्भर किसानों को इस बार मानसून की बेरुखी और सरकार का बुरा प्रबंधन दोनों मिलकर रुला रही है इस बार नालंदा जिले में सामान्य से 47 फ़ीसदी कम बारिश हुई है जो धान रोपनी के लिए पर्याप्त नहीं है। किसी प्रकार से किसानों ने जो कुछ खेतों में धान की रोपनी की थी वो भी पानी के अभाव में सूखने लगे हैं जो फसल हरे होने चाहिए थे अब पीले पड़ चुके हैं और सुख रहे हैं इस वर्ष आधा सावन बीत जाने के बाद भी तय लक्ष्य का 10% रोपनी भी नहीं हो सकी है। अच्छी बरसात नहीं होने के कारण क्षेत्र के किसान काफी चिंतित नजर आने लगे हैं ओर दूसरी तरफ सरकार की बेरुखी से किसानों को नालंदा जिले में 2 घंटे भी बिजली की आपूर्ति नही हो पा रही है नालंदा जिले में 128509 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है जिसमें 4225 इलेक्ट्रिक मोटर पंप उपलब्ध हैं जो बिजली आपूर्ति न होने की वजह से उपयोग में नही आ रहे है।
हमारी टीम द्वारा जिले के अलग अलग गांव में जा कर किसानों से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि सरकार और प्राकृतिक दोनो की मार को हम किसान झेल रहे हैं कई गांव के किसान ने ये भी बताया की उनकी समस्याओं को सरकार के समक्ष किसान नेता प्रणब प्रकाश द्वारा रखा गया है तथा कुछ जगह के समस्याओं को पदाधिकारी से बात कर उनका निष्पादन भी किया गया है।
देश की 70 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और कृषि पर ही निर्भर है।
बिहार में पिछले साल आई बाढ़ से भयंकर क्षति को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने कृषि विभाग को 19 जिलों के किसानों के लिए कृषि इनपुट राशि के तहत 894 करोड़ रुपये दिये थे।
बिहार में पिछले साल आयी बाढ़ से भयंकर क्षति हुई थी. सबसे ज्यादा किसानों को त्रासदी झेलनी पड़ी थी...