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बिहार में मेड इन इंडिया प्याज सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं किसान

प्रणव प्रकाश की रिपोर्ट

उपज न हो तो परेशानी, हो तो ज्यादा परेशानी अब सरकारी उदासीनता की शिकार है किसानी

उपज न हो तो परेशानी, हो तो ज्यादा परेशानी
अब सरकारी उदासीनता की शिकार है किसानी

आलू प्याज के कोल्डस्टोरेज, ढुलाई एवं बोरे का खर्च 2 रुपये प्रति किलो आता है। आज बिहारशरीफ, नालन्दा के बाजार समिति में इस प्याज को 50 पैसे प्रति किलो खरीदने वाला भी कोई नहीं। खेती के खर्चे को छोड़ यहाँ सिर्फ बाहरी खर्च में इतना घाटा।

अब किसान के बीज, रोपाई, सिंचाई, कीटनाशक, खाद एवं मजदूरी का खर्च भी पूरा घाटे में रखें, तो वह लगभग 2 रुपये प्रति किलो आता है।

अर्थात एक गरीब किसान को प्रति किलो प्याज उपजाने में लगभग 3.50 पैसे प्रति किलो का घाटा। 

भारत से आसानी से प्याज दूसरे मुल्कों में भेज डॉलर कमाया जा सकता है। विदेश तो छोड़ें देश के शहरों में भी प्याज 10 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा है और ग्रामीण बाजारों में मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान प्याज को सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं।

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