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बिहार में किसान की दशा

किसान क्यों है ख़ुदकुशी करने को मजबूर
हरवीर सिंह वरिष्ठ पत्रकार

2014 में किसानों की आत्महत्या का ब्यौरा नैशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो जून महीने तक देगी. 31 मार्च 2013 तक के आंकड़े बताते हैं कि 1995 से अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है हालांकि जानकार इस सरकारी आकंडे को काफी कम कर आंका गया समझते हैं. जहाँ पहले देश में किसानों की आत्महत्या की ख़बरें महाराष्ट्र के विदर्भ और आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र से ही आती थीं, वहीं अब इसमें नए इलाक़े जुड़ गए हैं. इनमें बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाक़े नहीं, बल्कि देश की हरित क्रांति की कामयाबी में अहम भूमिका वाले हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं.

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हताश किसानों का भगवान से गुहार

रविवार को लगभग दो हज़ार किसान भतहर हाई स्कूल के पास के मैदान में इकट्ठा हुये। वरुण मंत्र के जाप से पूरा इलाका गूँज रहा था। हवन के बाद किसानों ने अपने दुख दर्द को साझा किया। कम बारिश के कारण खेत बंजर पड़ी है। बिजली की कटौती के कारण मोटर से भी खेती संभव नहीं हो रही है। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक एवं वरिष्ठ भाजपा नेता ई० प्रणव प्रकाश ने सरकार से सहानुभूति एवं मदद की माँग की। उन्होंने कहा कि आज बड़े शहरों में एयर कंडीशनर और लाइट बत्ती के लिये 20 घंटे से ऊपर बिजली दी जा रही है ,वहीं किसानों को महज कुछ घंटे ही बिजली मिल पा रही है जो की नाकाफी है। किसान रोपनी नहीं कर पा रहे हैं।

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