नैनों में था रास्ता हृदय में था गाँव हुई न पूरी यात्रा छलनी हो गए पाँव
निदा फ़ाज़ली
छोटे किसान अब खून के आंसू रोते हैं चुपचाप सहमे से बहुत कुछ सहते हैं इनके घरों में औलाद नही बस दो हाथ पैदा होते हैं कलम पकड़े तो बेरोजगार होते हल पकड़े तो आत्महत्या करते हैं
प्रणव प्रकाश
घर खेत छोड़ परदेश में मजदूरी करने वाले किसान भाइयों की दशा हम ने घर की सलामती के लिए ख़ुद को घर से निकाल रक्खा है
अज़हर अदीब
सयानी होती बेटी, पढ़ाई करता बेटा और घर मे बूढ़े मातापिता वेक घर मे एक किसान का दर्द क्या कहूँ किस तरह से जीता हूँ ग़म को खाता हूँ आँसू पीता
हूँमीर असर
देश की 70 फीसदी आबादी गांवों में रहती है और कृषि पर ही निर्भर है।
बिहार में पिछले साल आई बाढ़ से भयंकर क्षति को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने कृषि विभाग को 19 जिलों के किसानों के लिए कृषि इनपुट राशि के तहत 894 करोड़ रुपये दिये थे।
बिहार में पिछले साल आयी बाढ़ से भयंकर क्षति हुई थी. सबसे ज्यादा किसानों को त्रासदी झेलनी पड़ी थी...